Last modified on 13 दिसम्बर 2009, at 23:33

तुम सहती क्या हो / चंद्र रेखा ढडवाल

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:33, 13 दिसम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्र रेखा ढडवाल |संग्रह=औरत / चंद्र रेखा ढडवाल }}…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


तुम कहोगी नहीं
तो कोई सुनेगा नहीं
सुनेगा नहीं
तो जानेगा नहीं
और निदान इसी में
कि कोई सुने
तुम कहती क्या हो
कोई जाने
तुम सहती क्या हो.