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भूख से बेहाल प्यासा हर प्रदेश / विनोद तिवारी

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KKCatGhazal


भूख से बेहाल प्यासा हर प्रदेश
फिर भी जीवित आस्था है हर प्रदेश

गाँव में साहित्य के कुछ शोध-छात्र
ढूँढते हैं गीत के भग्नावशेष

आँकड़े ही आँकड़े हर क्षेत्र में
जन्म-दर हो या कि हो पूंजी-निवेश

वो वही दफ़्तर है जन-कल्याण का
द्वार पर जिसके लिखा ‘वर्जित प्रवेश’