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शिन्नी / शलभ श्रीराम सिंह

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कनपटी के पास
फूल की तरह खिल गई है वह
बोल के भीतर से पैदा होती हुई हवाओं में

बिलम्बित के पहले छोर पर
सितार की आवाज़ जैसी वह
अपने नन्हे पैरों पर चल रही है मेरी स्मृति में अब भी
इच्छा के मासूम बिम्ब का नाम है शिन्नी
शिन्नी आत्मीयता के सम्मिलित हस्ताक्षर का नाम है
विदिशा की एक नन्ही बच्ची का नाम है शिन्नी।


रचनाकाल : 24.02.1991

शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रवीन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।