भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैगपी का गीत / हावर्ड डेनिसन मोमिन
Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:59, 25 दिसम्बर 2009 का अवतरण
बहता है शीतल पवन
नानगेरा<ref>गारो पर्वतमाला के पश्चिम में स्थित एक पहाड़ी </ref> से
लाते हुए वर्षा की बूंदें,
ब्रह्मपुत्र और समुद्र से।
सालजौंग<ref>फसल का देवता</ref> देवता के खेत पर
शकरकन्द और त:मत्ची<ref>एक प्रकार की शकरकन्दी</ref> पर
कृपा है वर्षा की ।
कहते हैं कृषक
गाती है मैगपी भी
'अब बहेगा जल,
फलने-फूलने दो धान और ज्वार के पौधों को,
फूलने दो वृक्षों को
आओ, वर्षा !
गहरा होने दो पोखरों और पोखरों और भवरों को
तैरने दो ऊपर की ओर ना:रोंग<ref>मछली का नाम </ref> और ना:ची<ref>मछली का नाम </ref> को
आओ, बाढ़ !
बहता है शीतल पवन,
भूखों के लिए
लाता है वर्षाजल
भूख से पीड़ितों के लिए।'
मूल गोरा भाषा से अनुवाद : डा० श्रुति
शब्दार्थ
<references/>