भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आप ख़ुशकिस्मत हैं / गिरिराज किराडू
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:04, 26 दिसम्बर 2009 का अवतरण (आप ख़ुशकिस्मत हैं /गिरिराज किराडू का नाम बदलकर आप ख़ुशकिस्मत हैं / गिरिराज किराडू कर दिया गया है)
आप ख़ुशकिस्मत हैं कि चीख़ सकेंगे
जब पूरा संसार किसी उलझे हुए उड़नखटोले से लटक कर किसी और आकाशगंगा
में बसने के लिए फ़रार होने की कोशिश कर रहा होगा
आप वापिस इसी आकाशगंगा की ओर कूदेंगे, कूदते हुए आपके पास कोई
पेराशूट न होगा पर आपको यह याद होगा कि आप सीधे शून्य में भी गिर सकते
हैं
आप दूसरों को देखेंगे और शायद मुस्कुराने की कोशिश भी करेंगे और
हाँ आपके चेहरे पर होगी सन्तुष्टि कि और कुछ न सही साहस तो है आपके पास
उधर हम मेंसे अधिकांश यूँ बेफ़िक्र होंगे मानो ये किसी हो चुकी दुर्घटना का
दृश्य है
अपना भविष्यफल हमने इतना देख लिया था कि हमारे पास भविष्य की भी एक
स्मृति थी