भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जिया कहने भर के लिए / मोहन राणा

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:27, 26 दिसम्बर 2009 का अवतरण (जिया कहने भर के लिए/मोहन राणा का नाम बदलकर जिया कहने भर के लिए / मोहन राणा कर दिया गया है)

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कभी ना समाप्त होने वाला दिन

डूबते और उगते सूरज बीच

मैं दौड़ता किसी किनारे को छूने

घूम कर पहुँचता वहीं


दीवार पर चढ़ती बेल

दीवार पर फैलती बेल

दीवार पर बेल

आकाश पर चढ़ता दिन

आकाश पर फैलता दिन

आकाश पर दिन

कागज़ पर लिखा शब्द

काग़ज़ पर जड़ा शब्द

काग़ज़ पर शब्द


कोई अनुभव अधूरा

उसे नाम दे कर कहता

हुआ पूरा यह

जिया कहने भर के लिए


17.3.1996