Last modified on 28 दिसम्बर 2009, at 00:28

सिकंदर-ए-आज़म / जहाँ डाल डाल पर

Manish Sahai (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:28, 28 दिसम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |गीतकार=राजिन्दर कृष्ण संगीतकार=हंस राज बहल }} <poem> गुरुर…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु
गुरुदेव महेश्वरा
गुरु साक्षात परब्रह्म
तत्समये श्री गुरुवे नम:

जहां डाल डाल पर
सोने की चिड़ियाँ करती है बसेरा
वो भारत देश है मेरा।

जहाँ सत्य अहिंसा और धर्म का
पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा।

ये धरती वो जहाँ ॠषि मुनि
जपते प्रभु नाम की माला
जहाँ हर बालक एक मोहन है
और राधा हर एक बाला
जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर
डाले अपना फेरा
वो भारत देश है मेरा।

अलबेलों की इस धरती के
त्योहार भी हैं अलबेले
कहीं दीवाली की जगमग है
कहीं हैं होली के मेले
जहाँ राग रंग और हंसी खुशी का
चारों ओर है घेरा
वो भारत देश है मेरा।

जहां आसमान से बातें करते
मंदिर और शिवाले
जहाँ किसी नगर में किसी द्वार पर
कोई न ताला डाले
प्रेम की बंशी जहाँ बजाता
है ये शाम सवेरा
वो भारत देश है मेरा।