भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिन बहुत सारे (कविता) / कुँअर बेचैन

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:37, 30 दिसम्बर 2009 का अवतरण (पिन बहुत सारे/ कुँअर बेचैन का नाम बदलकर पिन बहुत सारे / कुँअर बेचैन कर दिया गया है)

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिंदगी का अर्थ

मरना हो गया है

और जीने के लिये हैं

दिन बहुत सारे ।


इस

समय की मेज़ पर

रक्खी हुई

जिंदगी है 'पिन-कुशन' जैसी

दोस्ती का अर्थ

चुभना हो गया है

और चुभने के लिए हैं

पिन बहुत सारे।


निम्न-मध्यमवर्ग के

परिवार की

अल्पमासिक आय-सी

है जिंदगी

वेतनों का अर्थ

चुकना हो गया है

और चुकने के लिए हैं

ऋण बहुत सारे।

-- यह कविता Dr.Bhawna Kunwar द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।