भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रतीक्षा / मधुरिमा / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:29, 30 दिसम्बर 2009 का अवतरण (प्रतीक्षा (मधुरिमा) / महेन्द्र भटनागर का नाम बदलकर प्रतीक्षा / मधुरिमा / महेन्द्र भटनागर कर दिया गय)
आज तक मैंने तुम्हारी
चाहना का गीत गाया,
और रह-रह कर तड़पती
याद में जीवन बिताया,
- क्या प्रतीक्षा में सदा ही
- मैं व्यथा सहता रहूंगा ?
स्वप्न में देखा कभी यदि,
कह उठा, ‘बस आज आये’ !
दिवस बीता, रात बीती
पर, न सुख के मेघ छाये,
- कल्पना में ही सदा क्या
- मैं विकल बहता रहूंगा ?
प्राण उन्मन, भग्न जीवन,
मूक मेरी आज वाणी,
याद आती है विगत युग
की वही मीठी कहानी,
- क्या अभावों की कथा ही
- मैं सदा कहता रहूंगा ?