Last modified on 1 जनवरी 2010, at 23:08

रीढ़ की हड्डियां / पंकज सुबीर

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:08, 1 जनवरी 2010 का अवतरण (रीढ़ की हड्डियां/ पंकज सुबीर का नाम बदलकर रीढ़ की हड्डियां / पंकज सुबीर कर दिया गया है)

टेक चुके हैं सब अपने घुटनों को
उठा हुआ नहीं आता नज़र
अब कोई भी सिर
रेहन रख दी गईं हैं
लगभग सारी की सारी हड्डियां रीढ़ की
और इसीलिये चल रहा है
सब कुछ ठीक ठाक
वैसा ही जैसा चाहते हैं
वे