जीवन में
पराजित हूँ,
हताश नहीं!
निष्ठा कहाँ?
विश्वासघात मिला सदा,
मधुफल नहीं,
दुर्भाग्य में
बस
दहकता विष ही बदा!
अभिशप्त हूँ,
पग-पग प्रवंचित हूँ,
निराश नहीं!
क्षणिक हैं —
ग्लानि
पीड़ा
घुटन!
वरदान समझो
शेष कोई
मोह-पाश नहीं!