भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शहादत / बसंत त्रिपाठी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:55, 4 जनवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बसंत त्रिपाठी }} {{KKCatKavita‎}} <poem> शहादतों के लम्बे इतिह…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शहादतों के लम्बे इतिहास की तारीख़ें
अक्सर वहाँ गुम हो जाती हैं
जहाँ से शुरू होती हैं
सुखों को पालतू बनाने की कवायदें

स्थगित होती जाती हैं
चेहरे पर गुस्से की लकीरें

फिर गुज़रता है
चुप्पी का एक अन्तहीन काफ़िला।