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इब्ने-मरियम हुआ करे कोई / ग़ालिब
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घनश्याम चन्द्र गुप्त (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 05:27, 26 दिसम्बर 2006 का अवतरण
लेखक: ग़ालिब
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इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई
मेरे दुख की दवा करे कोई
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शर'अ-ओ-आईन पर मदार सही
ऐसे क़ातिल का क्या करे कोई
चाल जैसे कड़ी कमाँ का तीर
दिल में ऐसे के जा करे कोई
बात पर वाँ ज़ुबान कटती है
वो कहें और सुना करे कोई
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई
न सुनो गर बुरा कहे कोई
न कहो गर बुरा करे कोई
रोक लो गर ग़लत चले कोई
बख़्श दो गर ग़लत करे कोई
कौन है जो नहीं है हाजतमंद
किसकी हाजत रवा करे कोई
क्या किया ख़िज्र ने सिकंदर से
अब किसे रहनुमा करे कोई
जब तवक़्क़ो ही उठ गयी "ग़ालिब"
क्यों किसी का गिला करे कोई