भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यार में डूबी हुई लड़कियाँ-3 / मनीषा पांडेय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:54, 26 जनवरी 2010 का अवतरण
प्यार में डूबी हुई लड़कियाँ
अब लड़की नहीं रही
न नदी, न पतंग, न आबशार....
प्यार में डूबी हुई लड़कियाँ
अकेली थीं
अपने घरों, शहरों, मुहल्लों में
वो और अकेली होती गईं
माँ-पिता-भाई सब जीते
प्यार मे डूबी हुई लड़कियों से
लड़कियाँ अकेली थीं,
और वे बहुत सारे....
प्यार में डूबी हुई लड़कियाँ
अब माँएँ हैं ख़ुद
प्यार में डूबी हुई लड़कियों की
और डरती हैं
अपनी बेटी के प्यार में डूब जाने से
उसके आबशार हो जाने से...