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तत्त्वसंकेत / अशोक वाजपेयी

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आकाश उस ओर झुक रहा है-
पृथ्वी पर सुनाई दे रही है उसकी पदचाप-
हवा में बहकर आ रही है उसकी सुगन्ध-
जल उसकी प्रतीक्षा में दम साधे रुका है-
आग की लपटें उसी दिशा की ओर लपक रही हैं-
सब संकेत कर रहे हैं-
वह आ रही है :
तन्वंगी, परिपक्वयौवना, प्रिया ।