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दूसरी जगह में / अशोक वाजपेयी
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धरती को परवाह नहीं,
आकाश को पता नहीं,
हवा को ख़बर नहीं,
मैं चुपचाप रोता हूँ-
कविता में,
दूसरी जगह में ।