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आज रात / प्रयाग शुक्ल
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आज रात
आज रात मैं ठीक करूँगा मेज
सहेजूँगा काग़ज़-पत्र,
आज रात मैं जागूँगा बहुत देर तक
आज रात मैं लिखूँगा.
आज रात मैं करूँगा याद
वह सब
जिसे भूलता जा रहा हूँ,
आज रात मैं निचोड़ूँगा अपना मन
जैसे कोई कपड़े निचोड़ता है.
आज रात
आज रात
मैं लिखूँगा तुम्हें एक चिट्ठी.