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ज़िद्दी / प्रयाग शुक्ल
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जिद्दी
मैं रहा हूँ जिद्दी जीवन-भर
ऊपर से शान्त
मैं रहा हूँ ज़िद्दी.
कविता
तुम अक्सर चली जाती हो
दूर मुझसे.
पर मेरी ज़िद पहचानो.
कविता
मैं रहा हूँ जिद्दी जीवन-भर.