Last modified on 1 फ़रवरी 2010, at 22:18

मेरा बेटा / रंजना जायसवाल

पूजा जैन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:18, 1 फ़रवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरा बेटा,
जो कुछ दिन पूर्व ही
उछला करता था
गर्भ में मेरे
और मैं मोजे के साथ
सपने बुना करती थी

मेरा बेटा,
जब पहली बार माँ बोला था
मैं जा पहुँती थी कुछ क्षण
ईश्वर के समकक्ष...

मेरा बेटा
जब पहली बार घुटनों चला था
मैंने जतन से बचाये रुपए
बाँट दिए थे गरीबों में...

मेरा बेटा,
जब पार्क की हरी घास पर
बैठकर मुसकाता था
मुझे दिखते थे
मन्दिर... मस्जिद... गुरुद्वारे

मेरा बेटा,
जब पहली बार स्कूल गया
उसके लौटने तक
मैं खडी़ रही
भूखी-प्यासी द्वार पर

मेरा बेटा,
जब दूल्हा बना
सौंप दिया स्वामित्व मैंने
उसकी दुल्हन के हाथ

मेरा बेटा,
जब पिता बना
पा लिया उसका बचपन
एक बार फिर मैंने

और आज
मेरा वही बेटा
झल्लाता हैं
चिल्लाता हैं
'बुढि़या मर क्यों नहीं जाती'
क्योंकि टूट जाती है
उसकी जवानी की नींद
मेरे रात-भर
खाँसने से...।