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यानिस रित्सोस / परिचय

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महाकवि यानिस रित्सोस (१ मई १९०९ -- ११ नवम्बर १९९०)को क़रीब पंद्रह वर्ष तक यूनान की तानाशाह या दक्षिणपंथी सरकारों ने क़ैद या नज़रबंद रखा। क़रीब २४ साल तक उनकी रचनाओं के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगा रहा। १९३६ में जनरल मेटाक्सस की तानाशाही के दौरान उनकी प्रसिद्द लम्बी कविता 'एपिताफियोस' को सार्वजनिक रूप से जलाया गया। लगभग सात वर्ष तक वे क्षयरोग से पीड़ित रहे और नौ साल तक उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। रित्सोस के १०० से अधिक कविता-संग्रह, दो नाटक और दो उपन्यास प्रकाशित हुए हैं। यूनान में १९३६ की हड़ताल के दौरान पुलिस द्वारा मारे गए एक नौजवान के शव के पास रोती हुई उसकी माँ से प्रेरित कविता 'एपिताफियोस' को जब प्रसिद्द संगीतकार मिकिस थियोदोराकिस ने संगीतबद्ध किया तो वह बहुत लोकप्रिय हुई और जैसे यूनान की कम्युनिस्ट पार्टी का पार्टी-गीत बन गई। विकट संघर्षों से भरा जीवन जीते हुए रित्सोस अंत तक यूनान की कम्युनिस्ट पार्टी में सक्रिय रहे। रित्सोस का जब निधन हुआ तो उनके काव्य की महानता ही थी कि यूनान की दक्षिणपंथी सरकार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार करना पड़ा।

यूनानी कविता में कोन्स्तान्तिन कवाफी, जार्ज सेफरिस और ओदीसियस एलाइतिस के बाद यानिस रित्सोस चौथे महाकवि हैं। फ्रांसीसी कवि लुई अरागां ने कहा था: "धरती पर सबसे बड़े जीवित कवि का नाम यानिस रित्सोस है। ऐसा लगता है जैसे यह कवि मेरी आत्मा के सारे रहस्य जानता हो। एक से दूसरी कविता में जाते हुए किसी रहस्य के खुलने का कम्पन महसूस होता है। एक मनुष्य और एक देश का कम्पन, मनुष्य और देश की गहराइयों का कम्पन।" रित्सोस ख़ुद अपनी कविताओं को 'सरल वस्तुएँ' कहते थे, लेकिन वे इतनी सरल नहीं हैं। उनकी अद्भुत ख़ूबी यह है कि वे वैयक्तिक और सार्वजनिक, संवेदनात्मक और वैचारिक - दोनों दिशाओं में एक साथ सक्रिय रहती हैं और सौन्दर्य और विचारधारा के एक प्रगाढ़ संश्लेषण में ख़ुद को व्यक्त करती हैं। जेलों और यातना-शिविरों में रहते हुए या शारीरिक यंत्रणाएँ सहते हुए वे कविताएँ लिखकर एक बोतल में रखते जाते थे और बोतल जेल के फ़र्श में दबा देते थे। उनकी एक छोटी-सी कविता निजता और राजनीति के अद्भुत मेल का उदाहरण है: "यह उबकाई / कोई बीमारी नहीं है / यह एक जवाब है।"

छह हज़ार से ज़्यादा पृष्ठों में फैली हुई यानिस रित्सोस की कविता में से कोई प्रतिनिधि चयन करना कठिन है। उन्होंने काफ़ी लम्बी और बिलकुल छोटी कविताएँ भी लिखी हैं। फिर भी, उदाहरण के तौर पर इस महाकवि की एक प्रसिद्ध कविता ' पेनिलोपी का शोक' भी है। यूनानी पुराकथा में पेनिलोपी परम सुंदरी और स्पार्ता के राजा ओदीसियस ( युलीसिस ) की पत्नी थी। ट्रॉय के युद्ध में जाने के बीस साल बाद ओदीसियस स्पार्ता लौटता है लेकिन इस बीच विभिन्न द्वीपों के एक सौ राजा पेनिलोपी से विवाह करने आते हैं। पेनिलोपी एक कफ़ननुमा कपड़े पर सौ चिडियाँ काढ़ने और सौवीं चिड़िया के पूरे होने पर उनमे से किसी राजा से विवाह करने का वचन देती है। ओदीसियस सौवें दिन लौटता है और उन सौ राजाओं को मार गिराता है। होमर के काव्य 'ओदीसी' में यह पुराकथा एक पुरुषवाची स्वर लिए हुए है क्योंकि पेनिलोपी अपने पति को पहचानने से इनकार कर देती है लेकिन उसका बेटा तेलेमाकुस अपनी माँ को राजी करता है। रित्सोस इस कविता को पेनिलोपी के लम्बे इंतज़ार की व्यथा में परिवर्तित कर देते हैं और एक स्त्री के आंतरिक संसार को मार्मिक ढंग से उभारते हैं। यह कविता 'दूसरे' की संवेदना में प्रवेश करने का अप्रतिम उदाहरण है।