Last modified on 4 फ़रवरी 2010, at 18:13

शब्द-शब्द अनमोल परिंदे / रवीन्द्र प्रभात

रवीन्द्र प्रभात (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:13, 4 फ़रवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: शब्द-शब्द अनमोल परिंदे ! सुन्दर बोली बोल परिंदे !! जीवन -जीवन भूलभु…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शब्द-शब्द अनमोल परिंदे ! सुन्दर बोली बोल परिंदे !!

जीवन -जीवन भूलभुलैया - दुनिया गोलम- गोल परिंदे !!

छोटा मुँह मत बात बड़ी कर - खुल जायेगी पोल परिंदे !!

शीशे के घर में रहकर ना - पत्थर -पत्थर तोल परिंदे !!

बन्दर के हाथों में मत दे - झाल -मजीरा -ढोल परिंदे !!

कुछ मन की मर्यादा रख ले - आंखों को मत घोल परिंदे !!

कुछ "प्रभात " के जैसा रच दे - अंतर -पट अब खोल परिंदे !!