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हम बदलते वक़्त की आवाज़ हैं / विनोद तिवारी

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हम बदलते वक़्त की आवाज़ हैं
आप तो साहब यूँ ही नराज़ हैं

आप क्यों कर मुत्मुइन होंगे भला
हम नई तहज़ीब का अंदाज़ हैं

हम वही नन्हें परिन्दे परिन्दे हैं हुज़ूर
जो नई परवाज़ का आग़ाज़ हैं

भोर के सूरज की हम पहली किरन
आप माज़ी का शिकस्ता साज़ हैं

आप जिस पर्बत से डरते है जनाब
हम उसे रौंदेंगे हम जाँबाज़ हैं

फैसला चलिए करें इस बात पर
तीर हैं हम आप तीरंदाज़ हैं