Last modified on 13 फ़रवरी 2010, at 09:31

ख़ूब बरसे मेघ सागर के क़रीब / विनोद तिवारी

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:31, 13 फ़रवरी 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ख़ूब बरसे मेघ सागर के क़रीब
और सारे खेत सूखे रह गए

योजनाएँ आपने बाँटी तो थीं
हाँ मगर हम लोग भूखे रह गए

शामियाने गाँव पर ताने गए
चीथड़े हो कर सलूखे रह गए

मंच पर नवनीत सारा खप गया
गाल श्रोताओं के रूखे रह गए

सब सफलताएँ तो बाधा दौड़ थीं
हम ज़रा चूके तो चूके रह गए