भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धुन्ध / श्रीकांत वर्मा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:19, 14 फ़रवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीकांत वर्मा |संग्रह=दिनारम्भ / श्रीकांत वर्…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चक्कर
खाकर
स-ह-सा
दुनिया के
किसी
एक कोने में
गिरता
है
आ-द-मी

दूसरे
कोने
से
उभरता
है
ल-ड़ा-का

धुँध
में
डू-बी
हुई
है
जय-
प-ता-का
सी-ना
फुलाकर
क-ह-ता
है
वह
अ-प-ने
आप
से-

मैंने
उसे
मा-रा

स-ड़-क
के
कि-ना-रे
बैठी
बू-ढ़ी
औ-र-त
क-ह-ती
है
हत्यारा