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जीवन के बारे में कुछ बातें / कात्यायनी

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थोड़ा-सा प्यार मिला
थोड़ी नफ़रत
थोड़ी उत्तेजना
थोड़े तनाव और थोड़ी चुनौतियाँ,
थोड़े लम्हे छोटे-छोटे दुखों के, सुखों के।

नहीं मिला
नहीं मिला कहीं भी
आराम का विराम
न ही पूरी तुष्टि।

इसीलिए
जीवन रहा
बहता हुआ काल के प्रवाह में
दिक् के विस्तार में
पाती रही - खोती रही
बार-बार उसको मैं।
जीवन था वह।

रचनाकाल : जुलाई, 1988