भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लिख गया नारे कोई दीवार पर / विनोद तिवारी

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:39, 20 फ़रवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद तिवारी |संग्रह=दर्द बस्ती का / विनोद तिवार…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लिख गया नारे कोई दीवार पर
भीड़ ने पत्थर चलाए कार पर

बस दुआ कीजे दवाओं का असर
अब न हीं होता किसी बीमार पर

देश को गूँगा बनाया जाएगा
फिर वही आरोप क्यों सरकार पर

चुक गए बूढ़े दरख़्तों ने कहा
बस नहीं चलता नदी की धार पर

लोग सब बौने नज़र आए उसे
जो भी जा बैठा कुतुबमीनार पर