Last modified on 5 मार्च 2010, at 13:12

उड़ने की हुलस / चंद्र रेखा ढडवाल

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:12, 5 मार्च 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्र रेखा ढडवाल |संग्रह=औरत / चंद्र रेखा ढडवाल }}…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


उड़ने की हुलस लिए फ़ाख़्ताओं ने
फ़र्श से छत तक
इस दीवार से उस दीवार तक
भाँप लिया कमरे को
पर नीचे से ऊपर
दाँए से बाँए
उड़ती रहीं वे
हाँप-हाँप कर थक जाने तक
पंखों के नुच जाने तक