Last modified on 7 मार्च 2010, at 10:11

हौसला हो / चंद्र रेखा ढडवाल

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:11, 7 मार्च 2010 का अवतरण (हौसला ही / चंद्र रेखा ढडवाल का नाम बदलकर हौसला हो / चंद्र रेखा ढडवाल कर दिया गया है)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वक़्त आ गया है
कि चोंच में
दबे तिनके को
छूट जाने दो
और बिना चाह के
बिना आग्रह के
उड़ो ऊँचाइयों को पकड़ने
पर हैं तो उड़ोगी ही
निशित पर यह मत जानो
नहीं हैं तो नहीं उड़ोगी
यह भी मत मानो
जानने का दम्भ क्यों पालो
मान लेने की विवशता भी क्यों हो
जी लेने की ललक हो
उड़ जाने का हौसला हो बस