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एक-निष्ठ धुरी / चंद्र रेखा ढडवाल
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देखने की
दिखते रहने की चाह
भीतर से बाहर को
जाने का मोह
घूमते पहिए की
गति-ऊर्जा-सम्मोहन
सब पुरुष
***
अपने में समेटे
सब कुछ को
समाधि में लीन
योगी-सी एक-निष्ठ
धुरी
औरत.