उन्हें जाने दो
एक के बाद एक :
सूर्य, तारे,
विपुल पृथ्वी,
सयाना आकाश,
अबोध फूल।
मुझे रहने दो
अपने अँधेरे शून्य में,
अपने शब्दों के मौन में,
अपने होने की निराशा में।
मुझे रहने दो उपस्थित
आख़िरी अनुपस्थिति में।
उन्हें जाने दो
एक के बाद एक :
सूर्य, तारे,
विपुल पृथ्वी,
सयाना आकाश,
अबोध फूल।
मुझे रहने दो
अपने अँधेरे शून्य में,
अपने शब्दों के मौन में,
अपने होने की निराशा में।
मुझे रहने दो उपस्थित
आख़िरी अनुपस्थिति में।