भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
साँस लेते हुए भी डरता हूँ / अकबर इलाहाबादी
Kavita Kosh से
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:21, 26 मार्च 2010 का अवतरण
साँस लेते हुए भी डरता हूँ
ये न समझें कि आह करता हूँ
बहर-ए-हस्ती<ref>जीवन सागर</ref> में हूँ मिसाल-ए-हुबाब<ref>बुलबुला</ref>
मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ
इतनी आज़ादी भी ग़नीमत<ref>शुक्र</ref> है
साँस लेता हूँ बात करता हूँ
शेख़ साहब खुदा से डरते हो
मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ
आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज
शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ
ये बड़ा ऐब मुझ में है 'अकबर'
दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ
शब्दार्थ
<references/>