भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अपना सोचा हुआ नहीं होता/ सतपाल 'ख़याल'

Kavita Kosh से
Satpal khayal (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:52, 3 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सतपाल 'ख़याल' |संग्रह= }} Category:ग़ज़ल <poem> अपना सोचा ह…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
अपना सोचा हुआ नहीं होता
वर्ना होने को क्या नहीं होता

उसकी आदत फ़कीर जैसी है
कुछ भी कह लो खफ़ा नहीं होता

न मसलते यूँ संग दिल इसको
दिल अगर फूल-सा नहीं होता.

याद आते न शबनमी लम्हे
ज़ख़्म कोई हरा नहीं होता

ख्वाब मे होती है फ़कत मंज़िल
पर कोई रास्ता नहीं होता

इश्क़ बस एक बार होता है
फिर कभी हौसला नहीं होता

हद से गुज़रे हज़ार बार भले
दर्द फिर भी दवा नहीं होता

दोस्ती है तो दोस्ती मे कभी
कोई शिकवा गिला नहीं होता

मुफ़लिसी में ख़याल अब हमसे
कोई वादा वफ़ा नहीं होता