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कोई सपना सलोना चाहता है / आचार्य सारथी रूमी
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कोई सपना सलोना चाहता है,
लिपटकर मुझसे रोना चाहता है!
तू मेरा चैन खोना चाहता है,
तो क्या बेचैन होना चाहता है!
उसे माँ चाँद दिखलाने लगी है,
मगर बच्चा खिलौना चाहता है!
मैं नीली छत के नीचे ख़ुश हुआ तो
वो बारिश में भिगोना चाहता है!
मुझे जो फूल-सा मन दे दिया है,
बता किस में पिरोना चाहता है!
बनाना चाहता है मुझको कश्ती,
वो ख़ुद पानी का होना चाहता है!
मैं उसका बोझ हल्का कर रहा हूँ,
मगर वो दुख को ढोना चाहता है!
कभी दिखता है, छुपता है कभी तू,
तो तू क्या चाँद होना चाहता है!
हुआ रूमी मेरा एहसास बेघर
ये मिट्टी का बिछौना चाहता है।