भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आप भी जब बच्चे होंगे/ विनोद तिवारी

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:41, 15 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद तिवारी |संग्रह=सुबह आयेगी / विनोद तिवारी }} …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आप भी जब बच्चे होंगे
जेबों में कंचे होंगे

गौहर तो वे पायेंगे
जो गहरे उतरे होंगे

दुनिया के ढब अजब-गजब
तुमने भी देखे होंगे

अंबर के सन्नाटे से
ही तूफ़ाँ उठते होंगे

सब मिलकर जो कहते हैं
तो सच ही कहते होंगे

हँसने वालों से पूछॊ
आप कभी रोए होंगे