Last modified on 24 अप्रैल 2010, at 16:17

लौटती बैलगाड़ी का गीत / एकांत श्रीवास्तव

Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:17, 24 अप्रैल 2010 का अवतरण

जब नींद में डूब चुकी है धरती
और केवल बबूल के फूलों की
महक जाग रही है
तब दूधिया चॉंदनी में
धान से लदी वह लौट रही है

लौट रहे हैं अन्‍न
बचपन बीत जाने के बाद
बचपन को याद करते

घंटियों की टुनुन-टुनुन
गॉंव की नींद तक पहुंच रही है
और सारा गॉंव
अगुवानी के लिए तैयार हो रहा है

हिल रही हैं
अलगनी में टॅंगी हुई कन्‍दीलें
और चमक रहा है गॉंव का कन्‍धा

एक मॉं के कण्‍ठ से उठ रही है लोरी
कि चॉंदी के कटोरे में भरा है दूध
और घुल रहा है बताशा

बैलगाड़ी पहुंच जाना चाहती है गॉंव
दूध में बताशे के घुलने से पहले.


--Pradeep Jilwane 10:47, 24 अप्रैल 2010 (UTC)