मैं दीवाल के ऊपर
बैठा
थका हुआ भूखा हूँ
और पास ही एक कौआ है
जिसकी चोंच में
रोटी का टुकड़ा
उसका ही हिस्सा
छीना हुआ है
सोचता हूँ
की आए!
न मैं कौआ हूँ
न मेरी चोंच है –
आख़िर किस नाक-नक्शे का आदमी हूँ
जो अपना हिस्सा छीन नहीं पाता!!
मैं दीवाल के ऊपर
बैठा
थका हुआ भूखा हूँ
और पास ही एक कौआ है
जिसकी चोंच में
रोटी का टुकड़ा
उसका ही हिस्सा
छीना हुआ है
सोचता हूँ
की आए!
न मैं कौआ हूँ
न मेरी चोंच है –
आख़िर किस नाक-नक्शे का आदमी हूँ
जो अपना हिस्सा छीन नहीं पाता!!