भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पालना / एकांत श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:12, 29 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: जब भी गाती है मां<br /> हिलता है पालना<br /> <br /> पालने में सोया है नन्हां-…)
जब भी गाती है मां
हिलता है पालना
पालने में सोया है नन्हां-सा फूल
जिसकी पंखुडियों में बसी है
मां के सबसे सुंदर दिनों की खुशबू
पालने में सोया है नन्हां-सा सूरज
जिसके आसमान में फैला है
मॉं की आत्मा का अनन्त नीलापन
कांटों और अंधेरे के विरूद्ध
गाती है मां
हिलता है पालना
जब भी हिलता है पालना
हिलती है
पालने की तरह समूची पृथ्वी.