भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अपनापन अपना घर ढूँढ़ो / इसाक अश्क

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:48, 30 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इसाक अश्क }} {{KKCatGhazal‎}}‎ <poem> अपनापन अपना घर ढूँढ़ो कह…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अपनापन अपना घर ढूँढ़ो
कहाँ गया धड़ से सर ढूँढ़ो

ढूँढ़ सको तो घोटालों में
खोया देश मुकद्दर ढूँढ़ो

रिश्वत बिना जहाँ चलती हो
फ़ाइल ऐसा दफ़्तर ढूँढ़ो

विषधर से पहले नेता के
हर काटे का मन्तर ढूँढ़ो

जिसकी छाया बैठ ग़रीबी
भूल सकें वह छप्पर ढूँढ़ो