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शब्द नहीं देते साथ / नवीन सागर

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छोटे से बच्‍चे को खिलाया
इतने छोटे बच्‍चे को
जो ऐसे देखता है मानो कहीं और देखता हो
जो भूला हुआ-सा मुस्‍कराता है
जैसे कुछ याद आया हो!

उसने विस्‍मय से मुझे देखा
बहुत विस्‍मय उसका सम्‍मोहित करता है
उसकी आवाज़ में शब्‍द नहीं हैं
वह आवाज़ धरती जितनी पुरानी लगती है

उसने अपनी मुट्ठी में मेरे बाल भरे
उन्‍हें ख़ूब खींचा
कहीं भी नाखून मारे
हाथ-पाँव फेंके किलकारियाँ भरीं
और रोया
उसके रोने में उकसी माँ की आहट है।

उसने अपनी माँ की गोद में पहुँचकर
मुझे देखा
वह देखना वह क्‍या था
कि शब्‍द नहीं देते साथ