भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जब तक / क्रांति

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:42, 11 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=क्रांति |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> उस पार जब तक दशरथ शब…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उस पार
जब तक दशरथ
शब्दभेदी तीर चलाते आएँगे।

इस पार
तब तक श्रवण नदी में
गागर डुबोते घबराएँगे।