भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नास्तिक / लीलाधर मंडलोई

Kavita Kosh से
Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:02, 13 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=मगर एक आवाज / लीलाधर मंडलो…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हत्‍यारा किराए का था
उसे नहीं मालूम हत्‍या की वजह
मरने वाला एक जीवित इकाई था
और उसकी कीमत तय

एक अंधेरा था आत्‍मा पर
जो बाजार के वर्चस्‍व का प्रतिफल

कहा गया जो मारा गया
शनि का शिकार हुआ
मरना उसे इसलिए पड़ा कि वह नास्तिक था
और बाकायदा पार्टी का कार्ड होल्‍डर

वरन् क्‍या मुश्किल था
न सही लोग ईश्‍वर तो बचा ही लेता