भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मदिर अधरों वाली सुकुमार / सुमित्रानंदन पंत

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:11, 19 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मदिर अधरों वाली सुकुमार
सुरा ही मेरी प्रिया उदार!
मौन नयनों में भरे अपार
तरुण स्वप्नों का नव संसार!
चूमता मुख मैं बारंबार
गया ज्यों पान पात्र भी हार!
उमर मदिरा बन एकाकार
गए दोनों दोनों पर वार!