भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छूट जाएँ जब तन से प्राण / सुमित्रानंदन पंत
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:36, 19 मई 2010 का अवतरण ("छूट जाएँ जब तन से प्राण / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
छूट जावें जब तन से प्राण
सुरा में मुझे कराना स्नान!
सुरा, साक़ी, प्याली का नाम
सुनाना मुझे उमर अविराम!
खोजना चाहे कोई भूल
मुझे मेरे मरने के बाद,
पांथशाला की सूँघे धूल,
दिलाएगी वह मेरी याद!