भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नज़र आईने से मिलाता तो होगा! / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:22, 21 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=पँखुरियाँ गुलाब की / गुल…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

{KKGlobal}}


नज़र आईने से मिलाता तो होगा!
कभी वह भी घूँघट उठाता तो होगा!

नहीं मुड़ के देखे इधर जानेवाला
मगर दिल में आँसू बहाता तो होगा!

जो तूफ़ान में नाव बढ़ती रही है
कोई डाँड इसकी चलाता तो होगा!

कोई क्यों लगाता है फेरे यहाँ के
कभी यह ख्याल उसको आता तो होगा!

गुलाब! अपनी रंगीनियाँ पाके तुझमें
कभी दिल कोई झूम जाता तो होगा!!