भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फेन ग्रथित जल हरित शष्प दल / सुमित्रानंदन पंत
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:19, 22 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…)
फेन ग्रथित जल, हरित शष्प दल,
जिससे सरित पुलिन आलिंगित,
उस पर मत चल, वह चिर कोमल
ललना की रोमावलि पुलकित!
गुल लाला सम मुख छबि निरुपम
उस मृग नयनी की थी सस्मित,
वह मुकुलित तन आज धूलि बन
हुआ कूल दूर्वादल मंडित!