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रम्य मधुवन हो स्वर्ग समान / सुमित्रानंदन पंत
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रम्य मधुवन हो स्वर्ग समान,
सुरा हो, सुरबाला का गान!
तरुण बुलबुल की विह्वल तान
प्रणय ज्वाला से भर दे प्राण!
न विधि का भय, न जगत का ज्ञान,
स्वर्ग की स्पृहा, नरक का ध्यान,--
मदिर चितवन पर दूँ जग वार
चूम अधरों की मदिरा-धार!