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पंचम पिकरव, विकल मनोभव / सुमित्रानंदन पंत
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पंचम पिकरव, विकल मनोभव,
यौवन उत्सव!
मधुवन गुंजित, नीर तरंगित,
तीर कल ध्वनित!
हँसमुख सुन्दर प्रिय सुख-सहचर,
प्रिया मनोहर,
पी मदिराधर सखे, निरन्तर,
जीवन क्षण भर!