भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आपके पास कार नहीं है ? / दिनकर कुमार

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:20, 24 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनकर कुमार |संग्रह=कौन कहता है ढलती नहीं ग़म क…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आपके पास कार नहीं है ?
सिटी बसों में धक्के खाते हुए
पैदल चलते हुए
सड़क पार करते हुए
बच्चों को स्कूल छोड़ते हुए
आपको बहुत तकलीफ होती होगी

आपके पास कार नहीं है ?
क्या झुँझलाती नहीं आपकी पत्नी
कीचड़ और धूलभरी सड़कों पर
आपके साथ पैरों को घसीटती हुई
हीन भावना से ग्रस्त नहीं होते
आपके बच्चे -

आपके पास कार नहीं है ?
क्या आपकी कोई दो नंबर की
कमाई नहीं है
क्या आपने अभी तक आत्मा की पुकार
की उपेक्षा करना नहीं सीखा है
क्या अभी तक आप ‘व्यावहारिक' नहीं
बन पाए हैं ?