Last modified on 24 मई 2010, at 20:29

एक नन्ही चिड़िया / किशोर कुमार खोरेन्द्र

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:29, 24 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=किशोर कुमार खोरेन्द्र }} {{KKCatKavita}} <poem> यह कैसा है महा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

यह कैसा है महावृत
जो है अपरिमित

जिसमें व्यास है न त्रिज्या

उसे छूना जितना चाहूँ
उसकी परिधि भी लगती है
तब क्षितिज सी मिथ्या

बिना केंद्र बिंदु के
किस प्रकार से -
खींची है किसने यह
बिना आकार की यह गोलमाल दुनिया

न ओर का पता, न छोर का
फिर भी -
आकाश को भी
अपने परों से ..नाप रही हैं

हर मन के घोंसलों से ......उड़कर
एक नन्ही चिड़िया