Last modified on 25 मई 2010, at 01:30

एक नन्ही चिड़िया / किशोर कुमार खोरेन्द्र

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:30, 25 मई 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

यह कैसा है महावृत्त
जो है अपरिमित

जिसमें व्यास है न त्रिज्या

उसे छूना जितना चाहूँ
उसकी परिधि भी लगती है
तब क्षितिज सी मिथ्या

बिना केंद्र बिंदु के
किस प्रकार से -
खींची है किसने यह
बिना आकार की यह गोलमाल दुनिया

न ओर का पता, न छोर का
फिर भी -
आकाश को भी
अपने परों से ..नाप रही है

हर मन के घोंसलों से ......उड़कर
एक नन्ही चिड़िया